Tuesday, November 20, 2018

व्रत और प्रेम

आज के दौर में हर व्यक्ति खुद को विकसित और बुद्धिमान समझता है, खुद को औरों से ज्यादा तार्कसंंगिक साबित करना चाहता है. हर व्यक्ति खुद को विज्ञान से जुड़ा मानता है और किसी भी कीमत पर ये मानने को तैयार नहीं होता कि वह अंधविश्वासी है. आज भी हमारे समाज में व्रतों का महिमामंडन जारी है, और हो भी क्यूं न, व्रत हमारे समाज और संस्कृति का हिस्सा हैं. व्रत हमारा धार्मिक मामला है और इस पर टिप्पड़ी करने का हक किसी को नहीं है. व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत फायदेमंद है. एक शोध के अनुसार व्रत रखने वाले लम्बी उम्र जीते हैं जिसकी निम्न वजहें हैं-- 
1. व्रत रखने के दौरान फैट बर्निंग प्रोसेस तेज हो जाता है. जिससे चर्बी तेजी से गलना शुरू हो जाती है.

2. फैट सेल्स लैप्ट‍िन नाम का हॉर्मोन स्त्रावित करती हैं. व्रत के दौरान कम कैलोरी मिलने से लैप्ट‍िन की सक्रियता पर असर पड़ता है और वजन कम होता है.

3. व्रत के दौरान कुछ आवश्यक पोषक तत्वों को लेना जरूरी है वरना व्रत करना आपके लिए तकलीफदेह हो सकता है. व्रत के बाद आप जब भी कुछ खाएं, कोशिश करें कि वो पौष्ट‍िक हो न कि फैट से भरा हुआ.वरना वजन घटने के बजाय बढ़ जाएगा.

4. व्रत करने से नई रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के बनने में मदद होती है. यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के विशेषज्ञों की मानें तो कैंसर के मरीजों के लिए व्रत रखना बहुत फायदेमंद होता है. खासतौर पर उन मरीजों के लिए जो कीमोथेरेपी ले रहे हैं.

5. जरूरी नहीं है कि जब कोई धार्मिक मौका हो तो ही आप व्रत करें. शरीर की अंदरुनी गंदगी को साफ करने और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए आप कभी भी सुविधानुसार व्रत कर सकते हैं.

6. कई अध्ययनों में ये पाया गया है कि कुछ समय के लिए व्रत रखने से मेटाबॉलिक रेट में 3 से 14 फीसदी तक बढोत्तरी होती है. अगर वाकई ऐसा ही है तो इससे पाचन क्रिया और कैलोरी बर्न होने में कम वक्त लगेगा.

7. व्रत करने से दिमाग भी स्वस्थ रहता है. व्रत करने से डिप्रेशन और मस्त‍िष्क से जुड़ी कई समस्याओं में फायदा होता है.

8. व्रत करने के दौरान आपको इस बात का भी अंदाजा हो जाता है कि आपका खानपान कितना गलत है.

9. आज के समय में तनाव एक बहुत बड़ी मेडिकल प्रॉब्लम है. व्रत करने से तनाव में कमी आती है.                                                        (source:  aajtak.indiatoday.in)


व्रत रखना फायदेमंद तो है लेकिन कोइ भी शोध या डॉक्टर निर्जला व्रत रखने की सलाह नहीं देता.
खैर, क्या व्रत रखना जरुरी है? वो भी सिर्फ इसलिये कि हमें अपने पति और पुत्र से प्रेम है? क्या प्रेम को साबित करने की जरुरत है? अगर कोई स्त्री करवा चौथ, तीज का व्रत न रखे तो इसका ये मतलब हुआ कि वह अपने पति से प्रेम नहीं करती? पुत्र प्रेम को साबित करने के लिये गणेेेश चतुर्थी, छठ और ज्युत्पुत्रिका व्रत रखना जरुरी है? अगर भाई दूज का व्रत ना रखूं तो इसका मतलब कि मुझे अपने भाई से प्रेम नहीं??  यहाँ पर एक विज्ञापन याद आ रहा है कि "जो बीवी से करे प्यार वो प्रेस्टीज से कैसे करे इंकार"  कुछ वैसी ही स्थिति यहाँ पर भी है कि "जो पति से करे प्यार वो व्रत से कैसे करे इंकार".
प्रेम तो पति भी अपनी पत्नी से करता है, बेटा भी अपनी मां से करता है और भाई भी अपनी बहन से करता है लेकिन उनको साबित करने की जरुरत क्यूं नहीं होती?? 
व्रत हम भगवान मे अपनी आस्था की वजह से रखते हैं और व्रत रखने से हमें मानसिक संतुष्टि मिलती है लेकिन व्रत का लम्बी उम्र कनेक्शन मेरी तो समझ से परे है. अगर वाकई व्रत रखने से उम्र लम्बी होती तो सारे पुरुष अमर होते.  
सौभाग्यशाली और सुहागिन बने रहने के लिये प्रत्येक स्त्री को व्रत रखने जरुरी है? और जो विवाहिता इसे ना कर सके उसे तत्काल और बिना सोचे समझे 'दुष्ट' और 'अपने पति से प्रेम ना करने वाली स्त्री' की संज्ञा दे दी जाती है. 
जब बात एक आदर्श स्त्री की आती है तो आज भी समाज सीता, अनसुइया, सुकन्या, तारा, पद्मिनी की ही छवि देखता है. घर और दफ्तर के कामों मे संतुलन बनाना, परिवार, पति, बच्चों के साथ खुशी से रहना आदर्श होना नहीं है?  व्रत रखना एक तरफ से फायदेमंद है तो वहीं निर्जला व्रत रखने से पानी की कमी जैसे कई नुकसान भी शरीर को झेलने पड़ सकते हैं. ब्लडप्रेशर, शुगर, कैंसर जैसी बीमारियों से से पीड़ित व्यक्ति को व्रत रखने से परहेज की सलाह दी जाती है वहीं निर्जला व्रत पर पूरी तरह से मनाहीं होती है. व्रत रखना या ना रखना पूरी तरह से अपनी इच्छा पर निर्भर करता है, समाज किसी स्त्री को व्रत रखने के लिये विवश नहीं कर सकता है. परिवार के प्रति उसके प्रेम को व्रत से नहीं तौला जा सकता और न ही उसे अपने प्रेम को साबित करने की जरुरत है. @नलिनी

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