Sunday, June 30, 2019

कैसे भूल जाऊँ आपको

कैसे भूल जाऊँ आपको आपसे ही मेरा अस्तित्व है।
मुझे अच्छा लगता है आपके बारे में सोचना, क्यूँ करूं मैं भूलने की कोशिश।
आप थीं तो बात कुछ और थी, अब तो कोई बात ही नहीं।
घर जाने का शौक था और याद भी आती थी जब होता था कोई इंतजार करने वाला।
अब तो बस चली जाती हूँ जब कोई काम हो या कोई बड़ा त्योहार पड़े।
सोचती हूँ कि काश अब भी कोई होता जो दरवाजे पर खड़े खड़े मेरी राह देख रहा होता।
काश अब भी कोई होता जो कहता कि आओ बैठो मेरे पास, मत करो कोई काम।
एसी में बैठने पर भी वो ठंडक नहीं मिलती जो आप अपने आंचल की हवा से देती थीं।
यह ध्यान रखते हुए कि मेरे शरीर का बोझ आप पर न पड़े, आपकी गोद में सिर रखकर लेटना बहुत आरामदायक होता था माँ।
आपकी भी तो बहुत उम्मीदें हैं न मुझसे, उन उम्मीदों पर खरी उतरने की पूरी कोशिश कर रही हूँ।
शायद आपका आशिर्वाद है जो मुझे ताकत देता है कुछ करने की, आगे बढ़ने की।
मुझे हर उस पल में आपकी कमी महसूस होती है जब मैं खुश होती हूँ, अपनी समस्याओं को शेयर करना तो मेरी आदत में कभी रहा नहीं।
ऐसा लगता था कि आपके बाद मैं भी खत्म हो जाऊंगी लेकिन फिर भी जी रही हूँ, वो सारे काम कर रही हूँ जो करती थी।
घर जाने पर हर कोई मिलता है लेकिन खुशियां आसपास भी नहीं दिखतीं।
आज एक साल पूरे हो गए लेकिन फिर भी नजरें हर तरफ आपको ही क्यूँ ढूंढती हैं माँ,
आप मेरी ही नहीं बल्कि पूरे परिवार की माँ थीं।
आपने मुझे बहुत मजबूत बनाया है लेकिन मैं बहुत मुश्किल से ही अपने आंसू रोक पाती हूँ जब याद आते हैं आपके साथ बिताए हुए वो यादगार पल।
सालों साथ रहकर एक झटके में बिछड़ जाने और सबकुछ खत्म हो जाने का दर्द शायद आप भी महसूस कर रही होंगी।
एक वो समय था जब आप मुझे तैयार करती, बालों में कंघी करती और अपनी उंगली पकड़ाकर घूमाने ले जाया करती थीं।
इसी जीवन में एक वो समय भी आया जब मैं आपके बालों में कंघी कर, चप्पल पहनाकर और हांथ पकड़ कर घूमाने ले जाती थी।
हम दोनों ने एक दूसरे को पाला है। मैंने तो आपका साथ निभाया फिर आप क्यूँ नहीं?
मुझे पसन्द थीं परिवार और समाज की वो शिकायतें, जो आप मुझसे किया करती थी।
मुझे आपकी याद नहीं आती, हाँ नहीं आती मुझे आपकी याद क्योंकि मैंने खुद को आपसे इतना दूर कभी महसूस ही नहीं किया।
याद तो तब आती जब भूली होती, जो कि इस जीवन में तो संभव नहीं।
लेकिन आपकी कमी को इस दुनिया का कोई अन्य रिश्ता पूरा नहीं कर सकता।
काश ये सारी बातें मैं आपके सामने बैठकर कह पाती!
और काश एक बार आप मेरे बालों को सहलाते हुए माथे पर फिर एक किस कर पाती!
लिखना तो बहुत कुछ चाहती थी लेकिन न तो अब मेरे अंदर कुछ लिख पाने की शक्ति बची है और न ही आपके लिए कोई शब्द।
आजी साब!! काश थोड़ा और समय आपके साथ बिता पाती!😢

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