Monday, April 1, 2019

तुम अपना देख लो

वो अच्छी है, वो समझदार है
तुमसे ज्यादा
वो खेतों में काम करती है इसलिए वो बेरोजगार नहीं
उसे नहीं मांगने पड़ते हैं पति से पैसे अपनी जरूरतों के लिए
वो भले ही अनपढ़ या कम पढ़ी लिखी हो लेकिन किसी पर आश्रित नहीं तुम्हारी तरह।
वो नहीं डरती किसी से, अपने शराबी पति से भी नहीं
वो पतिव्रता और पति परमेश्वर का राग नहीं अलापती इसलिए खुद पर हांथ उठाने वाले पति को मार भी सकती है फेंककर कंडा, चप्पल, बेलन या किसी चीज से, जो उसके हांथ में हो
मतलब वो सेल्फ डिफेंस भी जानती है
तुम अपना देख लो
संस्कारी परिवार की बहू, संस्कारी पत्नी, संस्कारी परिवार की बेटी साबित करना चाहती हो न खुद को तुम?
 केवल सहते रहना ही तुम्हारे संस्कार का नियम है
क्योंकि संस्कार की दुहाई देने के चक्कर में "विरोध" नामक शब्द तो कहीं पीछे छूट गया
तुम्हें नहीं हक है पति की गलत बातों पर पलटकर जवाब देने का, क्योंकि तुम संस्कारी जो हो
तुम जॉब नहीं कर सकती क्योंकि अच्छे घर की बेटी/बहू जाॅब नहीं करती, फैमिली की इतनी रिस्पेक्ट है सोसाइटी में। और तुमको कमी ही किस चीज की है जो तुम जाॅब करोगी
दरअसल बात कमी की नहीं, बात तो यह है कि अगर तुम जाॅब करने लग जाओगी तो घर के पुरुष तुमको कंट्रोल कैसे कर पाएंगे, तुम्हारे पास अपने पैसे होंगे तो तुमको डराएंगे धमकाएंगे किस हथियार से।
तुम पर शासन कर के ही तो अपना पौरुष साबित करते हैं वो
इतराती रहो तुम खुद को जननी पुकार के, बच्चे पालो और मिटा दो अपनी खुशियां उनके भले के लिए।
हां क्यों नहीं! बच्चे तुम्हारे अकेले के जो हैं, तो बलिदान भी तो तुमको अकेले ही करना होगा न?
तुम जी रही हो एक बेटी,बहन, बहू, पत्नी, मां.. का जीवन, भूल गयी हो तुम खुद को
तुम्हारा भला कोई कैसे कर सकता है जब तुम खुद भूल गयी हो कि तुम सबसे पहले एक स्त्री हो।

1 comment:

  1. यह ब्लॉग तो पूरा नारी शक्ति को जागृत करने वाला है #हम किसी से कम नहीं😊

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