Wednesday, August 22, 2018

स्त्री!! क्यूँ सहती हो तुम??

हे स्त्री! तुम क्यूँ सहती हो....
क्यूँ सुनती हो तुम जब कोई ये कहता है कि "अकेली रहती हो?"??, "वहां उतनी दूर क्यूँ गयी?", "ऐसी कौन सी पढ़ाई / जॉब है जो वहीं पर होती है?",
क्यूँ जब लोग पूछते हैं तुमसे कि तुम कौन सी जॉब करती हो / कौन सी जॉब मिलेगी? और तुम्हारे बताने के बाद बनावटी मुस्कान चेहरे पर लाकर कहते हैं हेहे , और टॉन्ट वाले अन्दाज में कहते हैं कि बहुत अच्छा है!! उसके बाद बहुत फिक्रमंदी दिखाते हुए तुमको अवेयर करते हैं कि देखो भई सम्भल के, इस फिल्ड में कास्टिंग काउच भी होता है... क्यूँ घर जाने पर तुमसे पूछते हैं कि कब आयी और कौन गया था लेने??
क्यूँ तुम्हारी फैमिली को ये महसूस कराया जाता है कि बेटी को अकेले बाहर रहने देना एक पाप है? क्यूँ पापा को हर जगह जवाब देना पड़ता है उन बातों का कि "अरे आप पागल हो गये हैं क्या, आपको पता भी है कि जुग - जमाना कितना खराब चल रहा है? रोज न्यूज में देखते नहीं हैं?"??
क्यूँ तुम चुप रहती हो उस समय जब माँ के द्वारा तुमको पता चलता है कि फलाने ढिमाके ने फिर पापा से बोला कि "अभी इतना पैसा लगा रहे हैं तो शादी के लिए कहां से लाएंगे? "
क्यूँ..... क्यूँ..... क्यूँ???
आखिर क्यूँ...
हमेशा बड़ बड़ करने वाली तुम्हारी जबान क्यूँ बंद हो जाती है इन लोगों के सामने?? क्यूँ नहीं होता है कोई जवाब तुम्हारे पास??
तुम उनको (अपने तथाकथित शुभचिंतकों को) बोल कर नहीं बल्कि कर के चुप कराना चाहती हो? तुम अपनी काबिलियत के बल पर उनका मुंह बंद कराना चाहती हो? सही वक्त का इंतजार है तुमको या....
या तुम उन विचारों को फॉलो कर रही हो जो तुम्हारे पेरेंट्स ने तुमको दिये??? तुम ध्यान रखती हो वो बातें जो पापा अक्सर कहा करते हैं कि  "" बेटा! जस्ट इग्नोर इट.., तुम अपना काम करो और लोगों को उनका काम करने दो। तुम क्यों टेंशन लेती हो, मैं हूँ न तुम्हारे साथ हमेशा.. कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है ""
आखिर इन बातों का असर तुम पर हो भी तो क्यों न, जन्म से तो यही संस्कार मिले हैं तुमको, सोच भी वही होगी जिसके साथ अब तक रहती आयी हो! यही न??
यही कहना चाहती हो न तुम??
क्या तुम्हें सच में कोई फर्क नहीं पड़ता?? या फिर तुम डरती हो? तुम डरती हो मुंह खोलने से कि अगर तुमने कुछ बोला तो सामने वाला तुम्हारा फिक्रमंद प्राणी तुरंत तुम्हारा कैरेक्टर सर्टिफिकेट बनाकर बांट देगा चारों ओर और पूरे समाज में हर जगह??
सोचो.... कब सोचोगी?

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