Sunday, October 6, 2019

छिपी बेरोजगारी

आकर्ष, आठवीं कक्षा में पढ़ने वाला एक बच्चा। अपनी माँ के आंसू पोछते हुए कहता है, "तुम रो मत माँ, मैं भी समझता हूँ कि पापा किस स्थिति में मेरी फीस भरते हैं। मैं कोई बच्चा थोड़ी न हूँ! बस मुझे इंटर पास कर लेने दो, फिर अच्छी सी जॉब मिल जाएगी क्योंकि मैं तो हमेशा फर्स्ट आता हूँ क्लास में। है न माँ??"
भावना, इसने इसी साल बी.टेक में एडमिशन लिया है। भावना के पिताजी उसको "इंटेलिजेंट गर्ल" कहकर पुकारते हैं। आंखों में ढेरों सपने लिए हुए भावना कहती है,"पापा मुझे आशिर्वाद दो ताकि बी.टेक कर के एक अच्छी कम्पनी में इंजीनियर बनूं" पिताजी भावना के सिर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं, "फिर मैं भी सीना चौड़ा करके बोलूंगा कि इंजीनियर का बाप हूँ"।
अंकिता, एक भोली भाली लड़की। अंकिता ने अभी तो पोस्ट ग्रैजुएशन कम्प्लीट किया है। लेकिन ये रिश्तेदार भी न, शादी की रट लगा रखे हैं। लकिन अंकिता के मन में तो पीएचडी करने के सपने सज रहे हैं, क्योंकि ये चाहती है कि शादी से पहले अपने पास एक अच्छी जॉब हो। अंकिता चाहती है कि शादी के बाद वह केवल किसी की बहू ही नहीं बल्कि प्रोफेसर अंकिता बन कर जाये। अंकिता जा रही है यूनिवर्सिटी से अपनी मार्कशीट लेने, काफी खुश है वह। रास्ते में वह मिलती है पूरब से।
पूरब, एक टैक्सी ड्राइवर। अंकिता उसी की टैक्सी में बैठकर जा रही है। अंकिता ने पूरब से कहा, "भैया यूनिवर्सिटी जाना है मुझे"। पूरब ने उत्सुकतावश पूछा, "मैडम आप क्या करती हैं वहाँ?" अंकिता ने चहक कर जवाब दिया, "भैया मेरा पीजी कम्प्लीट हो गया है, अब पीएचडी करुंगी"। "हम्म", पूरब ने जवाब दिया। अंकिता ने पूछा, "भैया, आपके बच्चे भी पढ़ाई करते होंगे न"। पूरब ने जवाब दिया," हाँ मैडम, एक बेटा है, आठवीं में पढ़ता है"। अंकिता बोली," अरे वाह! फिर तो समझदार होगा आपका बेटा, क्या नाम है उसका?" पूरब ने गहरी सांस भरी और बोला,"हाँ, आकर्ष तेरह साल का हो गया है। एक्चुअली, मैं एलएलबी फाइनल इयर में था तभी शादी हो गयी थी और..."। उसकी बातें ख़त्म होने से पहले ही अंकिता ने चौंक कर पूछा, "एलएलबी?? आपने एलएलबी करी है??" पूरब ने बहुत ही शर्मिंदगी से हाँ में जवाब दिया। "तो फिर आपने वक़ालत क्यों नहीं की? उसमें आपका इंट्रेस्ट नहीं था क्या?", अंकिता सवाल पर सवाल किये जा रही थी। पूरब ने ठिठक कर जवाब दिया, "मैडम इंट्रेस्ट तो बहुत था लेकिन इंट्रेस्ट मुझे और मेरे परिवार को खाना नहीं दे सकता न"। अंकिता ने अगला सवाल दागा, "तो क्या आपने किसी छोटे कॉलेज से एलएलबी कर ली थी? जहां से डिग्री तो मिल गयी लेकिन नॉलेज नहीं"। "आपकी ही यूनिवर्सिटी से एलएलबी हूँ मैडम", पूरब ने मुस्कुराते हुए कहा। अंकिता बहुत हैरान थी क्योंकि वह जानना चाहती थी कि पूरब क्वालिफाइड होकर भी टैक्सी क्यूँ चलाता है? अंकिता के बार बार पूछने पर पूरब ने बताया," मैडम मैने तीन साल वक़ालत की लेकिन अपना जेब खर्च भी बहुत मुश्किल से निकाल पाता था। फिर मैने टैक्सी चलाना शुरू किया, इसमें बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन उससे काफी ज्यादा कमाता हूँ। इतना तो कमा ही लेता हूँ कि शहर के एक अच्छे स्कूल में आकर्ष को पढ़ा रहा हूँ। डेली के खर्चे में काफी एडजस्ट करना पड़ता है, बट इट्स ओके"।
इतना कहकर पूरब ने टैक्सी रोक दी। अंकिता ने चौंक कर उसकी तरफ देखा, तो उसने मुस्कुराकर कहा, "मैडम, यूनिवर्सिटी आ गयी"। पूरब की मुस्कान में छिपी मजबूरी को अंकिता साफ साफ देख पा रही थी लेकिन उसके वश में कुछ नहीं था, वह टैक्सी से उतर कर यूनिवर्सिटी चली गयी लेकिन अब उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था।

कुछ साल बाद...

इंटरमीडिएट के बाद अपने परिवार का दुख दूर करने के सपने देखने वाला आकर्ष अब थोड़ा और बड़ा हो गया है और आईआईटी की तैयारी कर रहा है। ईश्वर करें उसके जीवन में सबकुछ अच्छा हो। अंकिता ने पीएचडी की या नहीं, ये तो नहीं मालूम लेकिन बी.टेक करने वाली भावना अब बैंकिंग की तैयारी कर रही है। उसके परिवार और दोस्तों को विश्वास है कि भावना बैंकिंग का एक्जाम जरूर क्लीयर कर लेगी। ऐसा संभव भी है क्योंकि भावना तो है ही इंटेलिजेंट गर्ल। बैंक में नौकरी लग जाने के बाद उसे अच्छी सैलरी मिलने लगेगी लेकिन एक्चुअल में तो उसकी बेरोजगारी जाएगी ही नहीं। जी हाँ! भावना बेरोजगारी की शिकार हमेशा रहेगी, छिपी बेरोजगारी। बिल्कुल पूरब की तरह। ये हमारे देश के ऐसे बेरोजगार हैं जिन्हें कोई बेरोजगार ही नहीं मानता।
क्या भावना और पूरब के जीवन की तरह आपके किसी जानने वाले की कहानी है? यदि हाँ तो हमें कमेंट कर के बताएँ।


1 comment:

  1. मै हूँ न छिपी बेरोजगारी का शिकार ।
    दिपांशु भी पूरब की तरह एलएलबी का छात्र है ,स्नातक मासकाम आँनर्स है ,पोस्ट ग्रेजुएट है और महीने का मात्र 8हजार ही निकाल पाता है ,मै भी तो बेरोजगारी की श्रेणी में हूँ😢

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